एक अकेली रात थी। चाँदनी के तारे आकाश में खिल रहे थे, पर उस आदमी के दिल में अंधकार छाया हुआ था। वह जीवन की मौजों से वंचित था।

वो आदमी, रवि नामक, बेसहारा हो गया था। उसे छोटी सी उम्र में ही अपने माता-पिता को खो दिया था। उसका जीवन अब एक अजनबी दुनिया में ढल गया था।

वह अपने आँखों के सामने हमेशा अपने माता-पिता की मुस्कान देखता रहता था। उनकी ममता और प्यार ने उसे अपने आँचल में लिया था। परंतु अब वो सब वक्त की एक टारों के साथ दूर हो गया था।

उसे कई बार अकेलापन और उदासी से जूझना पड़ता था। दिनभर वह अपने काम में लिपटा रहता, पर रात के समय उसकी आंखों से आंसू बह जाते थे। उसे खुशियों की जगह दर्द और खोखलापन मिलता था।

एक दिन, जब वह निराशा के ताले में अटका हुआ था, उसे एक लड़की से मिलने का मौका मिला। वह लड़की, नीलाम नामक, उससे मिलने आई थी। नीलाम की आँखों में खुशियों की चमक थी, जो रवि ने कभी अपनी आँखों में नहीं देखी थी।

वो दोनों एक दूसरे के साथ समय बिताने लगे। नीलाम ने रवि को खुद के सपनों की दुनिया में ले जाया। वह उसे खुशियों की और आगे बढ़ाने का हौसला देती रही। परंतु रवि के दिल में अभी भी उसके माता-पिता की यादें थीं, जो उसके दिल के अँधेरे में बनी थीं।

धीरे-धीरे, रवि ने नई उम्मीदें पाना शुरू की। वह नीलाम के साथ जीने का तरीका सीख रहा था। परंतु जब उनकी तालाशी उसे अपने अकेलापन के बंधनों से छूटने के लिए ले गई, तब ही वह अपनी अखंड उदासी की गहराई में गिरा।

रवि को यह अहसास हुआ कि उसे कभी अपने अकेलापन को स्वीकार करना होगा। उसने नीलाम को छोड़ दिया, क्योंकि वह जान गया था कि उसे खुद को सम्पूर्ण करने की जरूरत है। रवि अकेलापन को अपनी ज़िन्दगी का हिस्सा मानने लगा, और उसे स्वीकार करने के बावजूद अपने सपनों की खोज में आगे बढ़ने लगा।

वो अकेलापन अब उसकी ताकत बन गया था। उसने खुद को तंगी से अलग कर लिया था और अपनी माता-पिता की यादों को आदर्श बना लिया था। वह अकेले रहने की सीख लेने के बावजूद अपनी ज़िन्दगी में उजाला लाने में सक्षम हुआ।

यह एक दुखभरी कहानी है, जो हमें यह सिखाती है कि कभी-कभी हमें अकेलापन को स्वीकार करना पड़ता है और उसे जीने का तरीका सीखना पड़ता है। जीवन में सफलता और खुशियाँ प्राप्त करने के लिए हमें अपने अकेलापन को समझने, स्वीकार करने, और उसे पारित करने की ज़रूरत होती है।


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